कोलेस्टेराॅल कितना भयावह
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Abstract
“कोलेस्टेराॅल“ आधुनिक युग के जीवन व जीवन शैली से जुड़ा हुआ एक अत्यन्त बहुचर्चित रसायन है जिससे हम में से अधिकांश अल्पाधिक परिचित अवश्य हैं। इससे बचाव हेतु न केवल चिकित्सा क्षेत्र द्वारा आगाह किया जाता रहा है अपितु स्वयं हम भी इसकी वृद्धि के प्रति सशंकित बने रहते हैं। हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किये जाने वाले फास्ट फूड्स (शीघ्र तैयार हो जाने वाले भोज्य पदार्थ), टिन्ड भोजन पदार्थ (डिब्बों में बन्द होकर आने वाले भोजन पदार्थ), आलस्यपूर्ण/आरामदायक रहन-सहन, बढ़ता हुआ शहरीकरण (अर्बनाइजेशन)/सूचना प्रकमण (इंफाॅर्मेशन प्रोसेसिंग प्रक्रिया), एक-दूसरे से दैनिक अनचाहा संपर्क, स्थानाभाव आदि हमारे शरीर में तनाव पैदा कर सकते हैं तथा इस प्रकार से उत्पन्न विशेषकर भावनात्मक तनाव सभी व्यक्तियों में “कोलेस्टेराॅल“ की मात्रा की वृद्धि करता हुआ देखा गया है जिससे अस्थानिक आरक्तता की दशा (इस्कीमिया) पैदा होती है। यही अस्थानिक आरक्तता हृदय रोगों को जन्म दे सकती है जिन्हें अस्थानिक आरक्तता जनित हृद-रोगों (इस्कीयामिक हार्ट डिजीजेज-आई0एच0डी0) के नाम से जाना जाता है। इन सभी उपरोक्त दशाओं में कोलेस्टेराॅल की मात्रा हमारे शरीर में बढ़ती दिखाई देती है।
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1.
शुक्लए. कोलेस्टेराॅल कितना भयावह. ANSDN [Internet]. 24Jul.2014 [cited 27Aug.2025];2(01):182-4. Available from: https://www.anushandhan.in/index.php/ANSDHN/article/view/1010
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